आइए जाने मेहराणा धोरा धाम के बारे में : Mehrana Dhora Dham

 आइए जाने मेहराणा धोरा धाम के बारे में : Mehrana Dhora Dham

आइए जाने मेहराणा धोरा धाम के बारे में : Mehrana Dhora Dham


मेहराणा धोरा : पंजाब के बिश्नोई बहुल गांवों व समाज का आस्था एवं श्रद्धा का प्रतीक है। सित्तोगुन्नों चौराहे से मलोट की तरफ जाने वाली सड़क पर लगभग 4 किमी चलने पर मेहराणा घोरा रूपी पावन स्थल आता है।

बताया जाता है कि लगभग 80 वर्ष पूर्व यह क्षेत्र अत्यंत बीरान था। लगभग 30 बीघा का इलाका झाड़ झंखाड़ और पेड़ पौधों से ढका रहता था। आसफास गांवों के लोग दिन में भी यहां आने से तक से कतराते थे।

ऐसे समय में सजस्थान की नोखा तहसील के जेगला गांव से बह्मदास जी सिगड़ नामक संत इस स्थान पर आए। इस निर्जन स्थान पर एकांत में हकर तपस्या करने लगे।

आसपास गांवों के लोग तपस्यारत बह्मदास जी के दर्शन एवं भोजन पानी हेतु आने लगे। उन्होंने यहां 30 वर्ष तक तपस्या की। इस अवधि में कोई व्यक्ति वहां रात्रि विश्वाम हेतु नहीं रुक सकता था।

आज उसी स्थान पर गुरु जम्भेश्वर भगवान का भव्य मन्दिर बना हुआ है। मन्दिर के पास ही बह्मदास जी की समाधि व गुफा है। जहाँ उन्होंने तपस्या को थी।

निकट ही बालिकाओं के लिए झमकूदेवी उमा. विद्यालय संचालित है। कुछ समय पूर्व तक स्कूल का संचालन मन्दिर समिति ही करती थी। मन्दिर की वर्तमान में कुल 15 बीघा (लगभग ) जमीन हैं जहां पेड़ पौधे लगे है। मुख द्वार के पास हिरण शिकार प्रकरण में शहीद हुए हजारीरामजी मांझु की प्रतिमा स्थापित है।

मेहराणा धोरा धाम के मुख द्वार के पास हिरण शिकार प्रकरण में शहीद हुए हजारीरामजी मांझु की प्रतिमा स्थापित है।

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