Guru Jambheshwar Mandir mukam | गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम

Guru Jambheshwar Mandir mukam | गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम  

गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम : Guru Jambheshwar Mandir mukam


गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम : मुकाम बीकानेर जिले के नोखा तहसील में स्थित है जो कि नोखा से लगभग 16 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पर गुरु जाम्भोजी की पवित्र समाधि स्थित है। इसलिए बिश्नोई समाज में मुकाम मंदिर का सर्वाधिक महत्व है। गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम को मुक्ति धाम मुकाम, निज मंदिर आदि नामों से जाना जाता है।


मुक्ति धाम मुकाम मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिंदू धर्म
उपासनाविष्णु
शासी निकायअखिल भारतीय बिश्नोई समाज 
आस्था का वृक्ष
  • खेजड़ी
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिनोखा, बीकानेर
ज़िलाबीकानेर
राज्यराजस्थान
देश India
मुकाम is located in राजस्थान
मुकाम
राजस्थान के मानचित्र पर अवस्थिति
भौगोलिक निर्देशांक27°37′N 73°37′E / 27.62°N 73.61°E
वास्तु विवरण
प्रकारमंदिर
शैलीहिन्दू मंदिर स्थापत्य

मुकाम मंदिर के पास तालवा गांव स्थित है। किदवंती है कि गुरु जम्भेश्वर महाराज ने अपने स्वर्गवास से पहले समाधि के लिए खेजड़ी व जाल के वृक्ष की निशानी की बतायी और कहा था कि वहां 24 हाथ की खुदाई करने पर शिवजी का धुणा व त्रिशूल खुदाई में मिला। त्रिशूल आज भी श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम मुकुट पर लगा हुआ है और खेजड़ा मन्दिर परिसर में स्थित है। 

मींगसर बदी नवमी विक्रमी सम्वत् 1593 में देश के सहजधर्मी एवं प्राणी मात्र के कल्याणर्थ महान अवतार श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने संसार में अपनी लीला पूर्ण करके समाधि ली थी।

गुरु जंभेश्वर मंदिर मुकाम में वर्ष में दो मेले लगते हैं 

मुकाम में वर्ष में दो मेले लगते हैं : मुक्ति-धाम मुकाम में महा-शिवरात्री के दूसरे दिन फाल्गुण बदी अमावस्या एवं आसोज बदी अमावस्या को दो बड़े भारी मेले लगते हैं। फाल्गुन की अमावस्या का मेला प्रारंभ से चला आ रहा है परंतु आसोज के मेले का प्रारम्भ जांभाणी परंपरा के महान संत विल्होजी महाराज ने किया। 

वर्तमान में वर्ष पर्यंत प्रत्येक अमावस्या को देश के कोने कोने से श्रद्धालु जन यहां पहुंच कर गुरु जांभोजी के चरणों में शीश नवाते हैं।   श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान की शब्दवाणी के साथ सभी 12 मेलों से दो दिन पहले से ही विशाल हवन होता है जिसमें कई मण घी व खोपरे होमे जाते है। आने वाले श्रद्धालु हवन के लिए घी के साथ पक्षियों के लिए चुगा भी लाते हैं जो वर्ष पर पक्षियों को डाला जाता है।

 

धन्य परैवा बापड़ा, छाजै बसै मुकाम।

चुण चुगै गुटका करै, सदा चितारे राम।।


  मुक्ति धाम मुकाम में विगत कई वर्षों से निशुल्क भंडारे की व्यवस्था है। श्री गुरु जंभेश्वर सेवक दल के तत्वधान में सुचारू रूप से मुकाम में भंडारा संचालित होता है।

  अब गुरु जंभेश्वर महाराज की समाधि स्थल पर बनेे मंदिर का जीर्णोद्धार कर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है जो शिल्प व नमूने की दृष्टि से अपने आप में श्रेष्ठ हैं।

मुकाम मंंदिर के आसपास दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के व्यक्तिगत मकान भी है अनेक धर्मशाला मुकाम मंदिर परिसर के आसपास बनी हुई है। मुकाम मंदिर में लगने वाले मेलों की संपूर्ण व्यवस्था बिश्नोई समाज की सर्वोच्च संस्था महासभा व श्री गुरु जंभेश्वर सेवक दल द्वारा की जाती है।

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