Sameliya Dham : बिश्नोई समाज की एक ऐतिहासिक धरोहर

जम्भेश्वर मन्दिर समेलिया धाम : बिश्नोई समाज की एक ऐतिहासिक धरोहर | Sameliya Dham



राजस्थान के जिला भीलवाडा तहसील माण्डल के निकटवर्ती ग्राम समेलिया में बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जम्भेश्वर भगवान का चार सौ साल पुराना ऐतिहासिक भव्य मन्दिर स्थित है। 


 गुरु जाम्भोजी ने जनजागृति के लिए अनेक प्रान्तों का भ्रमण किया, इन्हीं में से एक भीलवाड़ा! भीलवाड़ा के माण्डल में समेलिया ग्राम से एक किलोमीटर दूरी पर गुरु जाम्भोजी ने एक वर्ष तक जंगल में निवास कर, ग्राम पुर, दरीबा एवं समेलिया के निवासियों को बिश्नोई बनाया था। राणा सांगा, जाम्भोजी के उपदेश से प्रभावित हुआ और बहुत धन जाम्भोजी को भेंट किया। उस धन से गुरु जाम्भोजी ने 103 बीघा भूमि पर एक विशाल तालाब खुदवाया।  झालीरानी ने इस तालाब पर पौड़ियां बनवाईं। इस तालाब का नाम जम्भ सरोवर रखा गया।


समेलिया धाम की नींव की गहराई उन्नीस गज है एवं ऊँचाई इक्कीस गज है। मन्दिर का घेरा 50 फुट लम्बा व चौड़ा है। चारों ओर दीवार की चौड़ाई तीन फुट है। मन्दिर परिसर सवा तीन बीघा भूमि पर है। जिसमें भगवान जम्भेश्वर का मन्दिर तथा नौबतखाना, स्थवान घुड़साल और सूरजपोल दरवाजा बना है। मन्दिर परिसर के चारों ओर 6 फुट ऊँचा पत्थर का परकोटा है, जो वर्ततान में टूटफूट गया है। मन्दिर का उछाला साढ़े दस फुट है, मन्दिर का रंग एवं चित्रकारी चार सौ वर्ष के बाद भी जैसी की तैसी है ।


जम्भेश्वर मन्दिर समेलिया धाम के पीछे एक सौ छियासी बीघा भूमि है, किंतु मेजा बांध की डूब में आने से यह भूमि रेवेन्यू में पेटा दर्ज कर दी गई है। जब वर्षा होती है तब इसमें पानी भर जाता है परन्तु मन्दिर में पानी नहीं भरता है तथा मन्दिर में जाने हेतु जम्भ सरोवर को पाल से मार्ग सुरक्षित रहता है। मन्दिर या मन्दिर भूमि का मुआवजा भी डूब में आने पर न तो शासन ने दिया है और न समाज ने लिया है। और न ही मन्दिर जो कि बिश्नोई समाज की आस्था का प्रतीक है उस स्थान की महत्त्वता मुआवजा लेकर मिटाना भी समाज के लिए उचित है।


मन्दिर जीर्णोद्धार के लिए एवं उसकी सुरक्षा के लिए मन्दिर परिसर में आरसीसी की 12 फुट ऊँची चारदीवारी बनाकर, भरती कर उसमें बगीची लगाकर आकर्षित बनाया जा सकता है। जिसमें करीब दस लाख रुपये का खर्च आएगा। यदि यह स्वरूप साकार हुआ तो यह मन्दिर स्वर्ण मन्दिर का दूसरा रूप दिखाई देगा एवं दोनों ओर से पानी के मध्य होने से पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा। बांध के डूब में आने के बाद करीब 50 वर्ष से मन्दिर की पूजा-अर्चना व्यवस्था भी भंग हो चुकी थी। ब्रह्मलीन स्वामी श्री चन्द्रप्रकाश जी के शिष्य श्री स्वामी भगवान प्रकाश जी के देवास जिले के ग्राम नेमावर आश्रम से अपने साथ पांच व्यक्तियों को म.प्र. से लेकर समेलिया ग्राम में आए और भंडारा देकर पुर दरीबा एवं समेलिया के लोगों को उत्साहित किया तथा इस मन्दिर की सुरक्षा हेतु कमेटी का निर्माण किया जो पंजीकृत है। मन्दिर की पूजा व्यवस्था भी कर दी है।


इस मन्दिर का प्राचीन इतिहास जम्भसार प्रकरण प्रथम भाग में महाराणा सांगा और झालीरानी के काल से विक्रम सम्वत् 1563 ई. में गुरु महाराज ने निर्माण कराया था। जिसका विस्तरित प्रमाण जम्भसार में चित्तौड़ की कथा से विदित हुआ है। अत: अखिल भारतीय बिश्नोई समाज से अपील है कि अपने तन-मन-धन से सहयोग देकर भगवान जम्भेश्वर मन्दिर समेलिया की प्रतिकता को कायम रखें।


- कृष्णदेव पंवार

हिसार हरियाणा

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